गिरिडीह के कबरीबाद माइंस में एक बार फिर से कोयला चोरी का ऐसा खेल चल रहा है, जो सुनकर हर किसी की रूह कांप उठे। कोयले की रेलगाड़ी जब अपने डस्टिंग पॉइंट्स की ओर बढ़ती है, तो कुछ लोग ऐसे निडर होकर रैक पर चढ़ जाते हैं जैसे मौत को चुनौती दे रहे हों। यह कोई आम चोरी नहीं, बल्कि जान हथेली पर डालकर हो रही है – और उसके पीछे छुपा है लाखों रुपए का राजस्व घाटा। जानिए कैसे यह चोरी गिरिडीह की कोलियरी को लगातार चपेट में ले रही है और क्यों सुरक्षा के तमाम इंतजाम के बावजूद भी चोर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे।
गिरिडीह के कबरीबाद माइंस ने पिछले वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड कोयला उत्पादन करके क्षेत्र के लिए गर्व का विषय बनाया था। कोयला रेलवे रैक के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जा रहा है, लेकिन इस सफलता के बीच एक भयावह समस्या भी सामने आई है। कोयला चोरी की घटनाएं इतनी बढ़ गई हैं कि अब हर मालगाड़ी के रैक पर चोरों का डेरा लग गया है। ये चोर बिना किसी डर के रैक पर चढ़कर कोयले की बोरी भरते हैं और चोरी को अंजाम देते हैं, जिससे न केवल कोलियरी को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि यह चोरी देश के संसाधनों की भी चोरी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि ये चोर बिलकुल फिल्मी अंदाज में, चलते-फिरते मालगाड़ी के रैक पर चढ़ जाते हैं। यहां तक कि वे ट्रेन की तेज गति के बावजूद अपनी जान की परवाह नहीं करते। इस जाँबाज़ी ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। कोलियरी सुरक्षा विभाग, स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) को लगातार सक्रिय रहना पड़ता है ताकि चोरी की घटनाओं को रोका जा सके। बावजूद इसके, चोरों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे बार-बार चोरी करते हुए पकड़े जाने की परवाह नहीं करते, जिससे कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
इस चोरी से सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं हो रहा, बल्कि चोरों की जान पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। कई बार चोरी करते समय चोर ट्रेन से गिर भी जाते हैं, जिससे जान का जोखिम बढ़ जाता है। सरकारी खजाने को इससे होने वाला नुकसान करोड़ों में है, जो सीधे तौर पर देश के विकास में बाधा बन रहा है। साथ ही, इस चोरी ने कोयला उत्पादन क्षेत्र की छवि पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है, जहां संसाधनों की सुरक्षा करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
स्थानीय प्रशासन और रेलवे पुलिस चोरी रोकने के लिए निरंतर छापेमारी और गश्त कर रही है। लेकिन इस समस्या का स्थाई समाधान तभी संभव होगा जब सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएं, तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया जाए और चोरी में शामिल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, स्थानीय लोगों को भी सुरक्षा में सहयोग करना होगा ताकि यह गंभीर समस्या खत्म हो सके। प्रशासन को चाहिए कि वह इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए नई रणनीति बनाकर तत्काल प्रभाव से लागू करे।



