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गिरिडीह के 90 वर्षीय दिग्गज नेता ने ली अंतिम सांस, कोल यूनियन और सीपीआई को मिली अपूरणीय क्षति

एक आवाज़ जो वर्षों तक कोयलांचल में मजदूरों के हक के लिए गूंजती रही… आज हमेशा के लिए खामोश हो गई।”
झारखंड के गिरिडीह से एक गमगीन खबर सामने आई है। सीपीआई के कर्मठ और जुझारू नेता, पूर्व विधायक ओमीलाल आज़ाद का शुक्रवार दोपहर निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और लगातार इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे। लेकिन आज जमशेदपुर के टीएमएच अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली। जैसे ही ये खबर सामने आई, गिरिडीह समेत पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। उनके गद्दी मुहल्ला स्थित आवास पर शुभचिंतकों, समर्थकों और आम जनता की भारी भीड़ जुटने लगी — जो इस बात का प्रमाण है कि आज़ाद सिर्फ एक नेता नहीं, एक आंदोलन थे।

90 वर्षीय ओमीलाल आज़ाद महज एक राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे, वे झारखंड और बिहार के श्रमिक आंदोलनों की पहचान थे। कोल इंडिया यूनियन में उनका तीन दशक तक नेतृत्व करना कोई साधारण उपलब्धि नहीं रही। कोयले की खदानों में पसीना बहाने वाले मजदूरों की लड़ाई को उन्होंने विधानसभा तक पहुंचाया। 1985 में वे गिरिडीह सीट से CPI के टिकट पर विधायक चुने गए, और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने श्रमिकों, गरीबों और वंचितों के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया। आज़ाद राजनीति में ईमानदारी और सेवा भावना का एक जिंदा प्रतीक थे। 2010 के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया, लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी कई कार्यकर्ताओं के दिलों में जिंदा हैं। वे नारे नहीं लगाते थे, काम करते थे — और इसीलिए जनता उन्हें ‘नेता’ नहीं, ‘अपना आदमी’ मानती थी।

ओमीलाल आज़ाद का जाना सिर्फ गिरिडीह की एक राजनीतिक शख्सियत का अंत नहीं, बल्कि एक युग का अवसान है, जो आम आदमी की आवाज़ बनकर सत्ता से सवाल करता था। उनके भतीजे बिक्रम लहरी ने जानकारी दी कि आज़ाद को 15 दिन पहले इलाज के लिए टीएमएच, जमशेदपुर ले जाया गया था, जहां शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। परिवार ने निर्णय लिया है कि उनका अंतिम संस्कार जमशेदपुर में ही किया जाएगा। सोशल मीडिया पर तमाम राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

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