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मेरे खिलाफ दर्ज मामला गलत और फर्जी, मैंने मारपीट नहीं की: मनीष गुप्ता

ड्राइवर पर चाकू से हमला करने के आरोप में मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को लेकर फिल्म निर्देशक और लेखक ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि उनके खिलाफ दर्ज मामला गलत और फर्जी है। उन्होंने कोई मारपीट नहीं की है।

फिल्म निर्देशक और लेखक मनीषा गुप्ता के खिलाफ अपने ही ड्राइवर पर चाकू से हमला और पीटने का मामला दर्ज है, मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज है।

आरोप पर मनीषा गुप्ता ने बताया कि उनके खिलाफ दर्ज मामला गलत और फर्जी है, उन्होंने कोई मारपीट और न ही चाकू से हमला किया है।

उन्होंने बताया, “यह एक झूठा मामला है। इसे सिर्फ आपको परेशान करने और पैसे वसूलने के लिए दायर किया गया है। भारत में यह एक आम ट्रेंड बन चुका है, जब किसी से छोटा-मोटा विवाद हो जाता है, तो लोग झूठी एफआईआर दायर कर देते हैं ताकि सामने वाला दबाव में आ जाए और अपनी इज्जत बचाने के लिए ज्यादा पैसे दे दे। इसमें कुछ वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक लोग भी शामिल होते हैं, जो मिलकर एक ‘एक्सटॉर्शन रैकेट’ (वसूली का धंधा) चलाते हैं। मैं चाहता हूं कि इस रैकेट को तोड़ा जाए, मेरा केस इसका उदाहरण बन सके।”

उन्होंने आगे बताया, “5 जून की सुबह मेरा ड्राइवर पिछले महीने की सैलरी मांगने आया। मैंने उसे समझाया कि पिछले महीने तुमने काम छोड़ दिया था और अब चार दिन बाद फिर से काम करने की बात कह रहे हैं। इस बड़े झूठ को लेकर मेरे पास पर्याप्त सबूत हैं, जिन्हें मैं पेश करूंगा। ड्राइवर ने गलत आरोप लगाया है। मैं ड्राइवर के खिलाफ मामला दायर करूंगा, मेरी छवि खराब करने की कोशिश की गई है।”

मनीष गुप्ता ने आगे बताया, “मैं उसे सजा दिलाकर रहूंगा। मैं पुलिस स्टेशन जाकर अपना बयान दर्ज करूंगा, मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरे खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। देर रात मुझे एक अज्ञात नंबर से कॉल आया था लेकिन मैं सोया था। अगले दिन सुबह उसे फोन किया तो वह एक पुलिस अधिकारी का था और उन्होंने बताया कि आपके खिलाफ ड्राइवर ने मामला दर्ज कराया है।”

जानकारी के अनुसार, यह घटना 5 जून की शाम करीब 8 बजकर 30 मिनट पर वर्सोवा, अंधेरी पश्चिम में गुप्ता के ऑफिस, सागर संजोग बिल्डिंग में हुई, जिसे लेकर पुलिस ने मनीष गुप्ता के खिलाफ एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 118(1) (खतरनाक हथियार से गंभीर चोट पहुंचाना), 115(2) (चोट पहुंचाना) और 352 (शांति भंग करने के लिए अपमानजनक शब्द) के तहत दर्ज की।

–आईएएनएस

एमटी/केआर

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