शहर के सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता एवं सूचना का अधिकार (RTI) एक्टिविस्ट सुनील खंडेलवाल ने रेल यात्रियों को हो रही गंभीर समस्याओं के समाधान के लिए रेलवे बोर्ड को एक महत्वपूर्ण पत्र भेजा है। अपने पत्र में उन्होंने प्रमुख रूप से मेल, एक्सप्रेस, दुरंतो और राजधानी जैसी ट्रेनों में दरवाजों की तंगी और उससे यात्रियों को होने वाली परेशानियों का जिक्र किया है। खंडेलवाल का कहना है कि इन ट्रेनों के दरवाजे इतने संकरे होते हैं कि यात्रियों को चढ़ने और उतरने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, खासकर भीड़भाड़ के समय।खंडेलवाल ने यह भी बताया कि इन ट्रेनों का ठहराव बहुत कम समय का होता है और उसी अल्प समय में यात्रियों को एक ही दरवाजे से चढ़ना और उतरना पड़ता है। इससे अक्सर भीड़ में आपाधापी मच जाती है, लोग एक-दूसरे से टकरा जाते हैं और कई बार स्थिति झगड़े या मारपीट तक पहुंच जाती है। इस आपाधापी में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। कभी-कभी तो लोग ट्रेन में चढ़ या उतर ही नहीं पाते, जिससे वे या तो यात्रा से वंचित हो जाते हैं या फिर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।
अपने पत्र में खंडेलवाल ने रेलवे प्रशासन से मांग की है कि ट्रेनों में लगे दरवाजों की चौड़ाई बढ़ाई जाए ताकि चढ़ने-उतरने में आसानी हो सके। यदि यह संभव न हो तो हर कोच में एक दरवाजे को सिर्फ चढ़ने और दूसरे को सिर्फ उतरने के लिए निर्धारित कर दिया जाए। इस छोटे से लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव से यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी, दुर्घटनाएं कम होंगी और यात्रा का अनुभव भी बेहतर होगा। खंडेलवाल ने इसे एक व्यापक जनहित का विषय बताते हुए रेलवे से शीघ्र निर्णय की अपील की है।सुनील खंडेलवाल का यह पत्र अब रत्नेश कुमार झा, कार्यकारी निदेशक, रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है। खंडेलवाल ने उम्मीद जताई है कि रेलवे बोर्ड इस गंभीर विषय को गंभीरता से लेगा और जल्द ही इस दिशा में प्रभावी कदम उठाएगा। उनका यह प्रयास न सिर्फ जागरूकता लाता है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद भी जगाता है।



