गिरिडीह जिले के बहुचर्चित चिलखारी नरसंहार मामले में शुक्रवार को अदालत ने दो आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। यह दिल दहला देने वाली घटना 2007 में चिलखारी गांव में हुई थी, जब एक फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान उग्रवादियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पर हमला कर दिया था। हमलावरों ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी और उनके रिश्तेदार नुनु लाल मरांडी की पहचान कर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी थी, जिसमें 18 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मामले की सुनवाई कर रहे जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश मनोज चंद्र झा ने पाया कि अभियोजन पक्ष कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर सका, जिसके चलते दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। बचाव पक्ष के वकील पारस नाथ साव और मुस्लिम अंसारी ने इसे न्याय की जीत बताया, वहीं सरकारी वकील अशोक दास ने कहा कि मामले में कुछ अन्य आरोपियों को पहले ही फांसी की सजा मिल चुकी है और केस की कानूनी प्रक्रिया अब भी जारी है।



