अंधेरी सुरंगों की परतों में इतिहास दफन था, लेकिन वहीं से भविष्य की रोशनी भी झांक रही थी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यूरोप दौरे के पहले चरण में जब बार्सिलोना के गैवा म्यूज़ियम ऑफ माइंस पहुँचे, तो यह केवल एक औपचारिक दौरा नहीं था—बल्कि यह एक गंभीर विचार था कि झारखंड की पुरानी खदानें सिर्फ मिट्टी नहीं उगलतीं, बल्कि विज्ञान और शिक्षा का अडिग केंद्र भी बन सकती हैं। यह म्यूजियम, जो कैटेलोनिया के सांस्कृतिक विभाग द्वारा संचालित है, खनन तकनीक और नवपाषाण युग की ऐतिहासिक परतों को संजोए हुए है। मुख्यमंत्री और उनके साथ मौजूद प्रतिनिधिमंडल ने जाना कि कैसे खनन क्षेत्र को पुनर्जीवित कर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से उपयोगी बनाया जा सकता है।
झारखंड के खनन संसाधनों का दोहन दशकों से होता आया है, लेकिन सवाल है—क्या इससे आम जनता को फायदा मिला? मुख्यमंत्री सोरेन के इस दौरे का उद्देश्य केवल अंतरराष्ट्रीय साझेदारी बनाना नहीं है, बल्कि यह देखना भी है कि कैसे झारखंड की जर्जर हो चुकी खदानों को पुनर्जीवित कर विज्ञान, टूरिज़्म और रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएं। इसी क्रम में बार्सिलोना की सागरदा फैमिलिया का दौरा भी एक सांस्कृतिक और दूरदर्शी सोच का हिस्सा था। महान वास्तुकार एंटोनी गौडी की संरचना को देखकर सोरेन ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि विकास केवल संसाधनों में नहीं, दृष्टिकोण में भी होता है।
अब प्रतिनिधिमंडल अपने अगले पड़ाव मैड्रिड की ओर बढ़ चला है। सोमवार, 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री स्पेन की प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे, और 22 अप्रैल को माइनिंग और स्टील सेक्टर की कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। यह न केवल झारखंड में निवेश को बढ़ावा देने का मौका है, बल्कि यह भी एक प्रयास है कि राज्य को वैश्विक माइनिंग नेटवर्क से जोड़ा जा सके। इसके ज़रिए सिर्फ खनन क्षेत्र ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े तकनीकी संस्थानों और स्टार्टअप्स को भी पंख मिल सकते हैं।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने यूरोपीय नागरिकों को ईस्टर की शुभकामनाएं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दीं। यह संदेश केवल त्योहार की बधाई नहीं थी, बल्कि भारत और यूरोप के बीच भावनात्मक कनेक्ट का संकेत भी था। एक ओर जब नेता विदेश में दौरे पर होते हैं, तो उन पर दिखावे के आरोप लगते हैं—but this time, it seems like there’s a purpose beyond politics. यह दौरा झारखंड के लिए वैश्विक अवसरों के नए द्वार खोल सकता है, बशर्ते इसकी नीतिगत अनुवर्ती कार्रवाई ठोस हो।
सीएम हेमंत सोरेन का यह दौरा केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह झारखंड की भविष्य गाथा की प्रस्तावना हो सकता है। क्या खनन राज्य अब केवल खदानों से कोयला निकालने के लिए जाना जाएगा, या फिर वह शिक्षा, रिसर्च और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का केंद्र बन सकता है? यह वही झारखंड है जहां खनन से जुड़ी त्रासदियां भी हैं और संभावनाएं भी। इस दौरे से अगर आने वाले समय में वैज्ञानिक सोच, उद्योगिक निवेश और रोजगार की संभावनाएं बढ़ें, तो यह दौरा मील का पत्थर साबित हो सकता है।



