क्या आपने कभी सोचा है कि रथ केवल पहियों से नहीं चलते, बल्कि आस्था की डोर से खींचे जाते हैं? क्या रथयात्रा सिर्फ उड़ीसा के पुरी में ही होती है? नहीं… झारखंड के पलामू में भी एक ऐसी रथ यात्रा निकलती है, जिसकी गूंज एक सदी से अधिक पुरानी है। मेदिनीनगर की शांत कोयल नदी के किनारे स्थित प्राचीन राम जानकी मंदिर से निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक जीवंत इतिहास है, जिसमें हर वर्ष हजारों श्रद्धालु भाग लेकर अपनी आस्था की डोर से रथ को खींचते हैं।
यह राम जानकी मंदिर, जिसे महान संत बाबा भीखम दास जी ने स्थापित किया था, पलामू की पहचान का हिस्सा बन चुका है। इस मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा 27 जून को दोपहर 3 बजे शुरू होगी। यात्रा के उपरांत प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी होगा, जिसमें आसपास के गांवों और दूर-दराज़ से आए भक्त हिस्सा लेंगे। आयोजन समिति के सक्रिय सदस्य अविनाश कुमार राजा के अनुसार, इस वर्ष की यात्रा को और भव्य बनाने के लिए तैयारियां पुरी के नंदी घोष रथ की तर्ज पर की जा रही हैं। रथ की लकड़ी, सजावट, और संरचना — सब कुछ पारंपरिक और आकर्षक बनाया गया है।
इस वर्ष का रथ केवल एक गाड़ी नहीं, बल्कि भक्ति और परंपरा का प्रतीक होगा। लगभग 14 फीट ऊंचा, मजबूत लकड़ी से निर्मित रथ को खींचने के लिए 15 से 20 मीटर लंबी रस्सी तैयार की गई है। इस रथ में लड्डू गोपाल की एक भव्य पालकी भी होगी, जो पूरे रास्ते श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र बनी रहेगी। 8 किलोमीटर लंबी यह यात्रा मेदिनीनगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई मंदिर परिसर में लौटेगी। यह सिर्फ चलने की यात्रा नहीं, बल्कि भक्ति के हर कदम को महसूस करने का पर्व है।
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी ब्रजमोहन पांडे बताते हैं कि यह यात्रा लगातार 100 वर्षों से अधिक समय से निकाली जा रही है, लेकिन पिछले 4-5 वर्षों में इसे भव्य और सांस्कृतिक स्वरूप दिया गया है। इस बार यात्रा की एक और खास बात है — महिलाओं की सक्रिय भागीदारी। परंपरागत गोपियों की वेशभूषा में महिलाएं रथ खींचने में हिस्सा लेंगी। यह पहल सांस्कृतिक पुनर्जागरण और स्त्री सशक्तिकरण का एक सुंदर उदाहरण बनती जा रही है।



