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पश्चिम बंगाल : खड़गपुर में रेलवे जमीन पर कब्जे को लेकर तनाव, तृणमूल समर्थकों का डीआरएम बंगला घेरने का ऐलान

रेलवे ने अवैध रूप से कब्जाई गई अपनी जमीन को मुक्त कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है, जिसके चलते पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में तनाव बढ़ गया है।

रेल नगरी खड़गपुर में रेलवे ट्रैक के पास दीवार बनाने को लेकर स्थानीय लोगों और रेलवे के बीच विवाद हो गया था। रेलवे और राज्य प्रशासन के बीच रोजाना झड़प हो रही हैं। इस बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से जुड़ी खड़गपुर बस्ती बचाओ संग्राम समिति ने डीआरएम (डिविजनल रेलवे मैनेजर) बंगले को घेरने का ऐलान किया है।

इसके चलते सुबह से ही डीआरएम बंगले के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बंगले की ओर जाने वाली सड़कों को बैरिकेडिंग करके बंद कर दिया गया है।

तृणमूल के कार्यकर्ता और नेता बैरिकेडिंग के बाहर जुटने लगे हैं। रेलवे पुलिस को आशंका है कि दिन चढ़ने के साथ तनाव और बढ़ सकता है, इसलिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि रेलवे की कार्रवाई से उनका घर उजड़ रहा है।

प्रदर्शनकारी बबली ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, “हमारा घर तोड़ा जा रहा है, हमें बहुत परेशानी हो रही है। हर तरफ रास्ते बंद किए जा रहे हैं। हमें समझ नहीं आ रहा कि हम कहां जाएं। इसलिए हम यहां विरोध करने आए हैं।”

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने गुस्से में कहा, “रेलवे ने रास्ते रोक दिए हैं, दीवारें तोड़ दी हैं। हमारी बस्ती को उजाड़ने की कोशिश हो रही है। तृणमूल की नेता ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के समर्थन से हम डीआरएम बंगले का घेराव कर रहे हैं। रेलवे को हमारी बस्ती छोड़नी होगी।”

प्रदर्शनकारियों ने यह भी शिकायत की कि खड़गपुर में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। हजरत कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट नहीं जलती, अस्पतालों में दवाइयां और डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं और ट्रेनें भी समय पर नहीं चल रही हैं। उनका आरोप है कि रेलवे की कार्रवाई तानाशाही है और वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

रेलवे का कहना है कि अवैध कब्जे हटाना जरूरी है, क्योंकि यह उनकी जमीन है। दूसरी ओर, स्थानीय लोग इसे अपनी आजीविका और आवास पर हमला मान रहे हैं। स्थिति को देखते हुए प्रशासन और रेलवे अलर्ट पर हैं।

–आईएएनएस

एसएचके/केआर

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