गिरिडीह जिले के धनवार थाना क्षेत्र के गरजासारन पंचायत अंतर्गत मामाअहरी गांव से एक बेहद संवेदनशील और पीड़ादायक मामला सामने आया है। बेटी को जन्म देना एक महिला के लिए अपमान का कारण बन गया। समीमा परवीन नाम की महिला को केवल इस वजह से ससुराल वालों ने घर और संपत्ति से बेदखल कर दिया क्योंकि उसने बेटियों को जन्म दिया था। समीमा ने थाने में लिखित आवेदन देकर न्याय की मांग की है और कहा है कि अब उसके पास न रहने का ठिकाना है, न जीवन यापन का साधन।
बताया गया कि समीमा परवीन की शादी वर्ष 2013 में मोइनुद्दीन अंसारी से हुई थी। शुरुआती कुछ महीनों तक उसका वैवाहिक जीवन सामान्य रहा, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई। शादी के कुछ वर्षों तक संतान नहीं होने पर उसे ताने दिए जाने लगे और शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना का सिलसिला शुरू हुआ। बाद में जब दो बेटियों का जन्म हुआ तो समीमा की ज़िंदगी और भी मुश्किल हो गई। ससुराल वालों को बेटियों का जन्म स्वीकार नहीं हुआ और वे उसे प्रताड़ित करते रहे।
समीमा ने अपने बयान में बताया कि उसे मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया गया और अब वह पिछले तीन दिनों से अपने ससुराल के बाहर गेट पर भूखी-प्यासी अपनी दोनों बेटियों के साथ बैठी है। न तो परिवार के लोगों ने उसकी सुध ली और न ही अब तक पुलिस प्रशासन ने ठोस कदम उठाया है। समाज के तमाम लोग इस घटना को देखकर भी चुप हैं, जिससे पीड़िता की पीड़ा और गहरी हो गई है।
पीड़िता समीमा परवीन का कहना है कि वह सिर्फ अपने और अपनी बेटियों के लिए न्याय चाहती है। उसका सपना था कि बेटियां पढ़-लिखकर आगे बढ़ें, लेकिन अब उनके पास छत भी नहीं बची है। उसने समाज से अपील की है कि वह ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज़ उठाएं जो बेटियों को अभिशाप समझते हैं। साथ ही पुलिस प्रशासन से मांग की है कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो और उसे और उसकी बेटियों को सुरक्षित जीवन मिले।



