लातेहार के इचवार जंगल में शनिवार सुबह एक खौफनाक मुठभेड़ ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। जब सुरक्षाबलों को मिली गुप्त सूचना के बाद वे जंगल में पहुंचे, तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि वह दिन नक्सलियों के लिए काला होगा। छिपे हुए 10 लाख के इनामी नक्सली पप्पू लोहरा, जो झारखंड जनसंघर्ष मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो थे, अपने साथियों के साथ बड़ी साजिश रच रहे थे। परन्तु सुरक्षाबलों ने उन्हें घेर लिया और भयंकर गोलीबारी में दोनों पक्षों में तीखी मुठभेड़ छिड़ गई। इस मुठभेड़ में नक्सलियों को बड़ा झटका लगा, जब पप्पू लोहरा और उसके साथी प्रभात लोहरा की मौत हो गई।
लातेहार एसपी कुमार गौरव के नेतृत्व में पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। मिली जानकारी के मुताबिक, सुरक्षाबलों को एक खास गुप्त सूचना मिली थी कि पप्पू लोहरा और उसके साथियों ने इचवार जंगल में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई है। इसके बाद तुरंत ही टीम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इसी दौरान उग्रवादी नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने भी सटीक गोलीबारी कर दो नक्सलियों को मार गिराया। इस संघर्ष में एक अन्य नक्सली घायल हो गया है, जिसकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
पप्पू लोहरा को इलाके में आतंक फैलाने वाला बेहद खतरनाक नक्सली माना जाता था। झारखंड जनसंघर्ष मुक्ति मोर्चा के इस सुप्रीमो पर 10 लाख रुपए का इनाम घोषित था। उसकी मौत से नक्सलवादी संगठन को गहरा झटका लगा है। सुरक्षाबलों के इस अभियान ने यह साबित कर दिया है कि झारखंड में नक्सलवाद पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। पिछले कुछ समय से राज्य में नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चल रही है, जिससे कई इलाके अब पहले से सुरक्षित हुए हैं। इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोग भी राहत की सांस ले रहे हैं।
इस मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए लातेहार एसपी कुमार गौरव ने बताया कि यह अभियान पूरी रणनीति और गुप्त सूचनाओं के आधार पर चलाया गया था। उन्होंने कहा कि पप्पू लोहरा सहित अन्य नक्सली इलाके में दहशत फैलाने का प्रयास कर रहे थे, इसलिए उनकी सक्रियता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई आवश्यक हो गई। पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने नक्सलियों को घेरकर सटीक वार किया। एसपी ने कहा कि आने वाले दिनों में भी ऐसी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी, ताकि झारखंड और आसपास के इलाकों को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कराया जा सके।
लातेहार की इस बड़ी कामयाबी के बाद राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान को और तेज करने का संकल्प लिया है। हालांकि, नक्सलवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, लेकिन इस तरह की सफल मुठभेड़ों से हिम्मत बढ़ रही है। लोगों ने सुरक्षाबलों की बहादुरी की जमकर सराहना की है। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस नाकाम मुठभेड़ से नक्सली संगठनों की पोल खुल पाएगी और वे फिर कभी झारखंड के जंगलों में आतंक फैलाने की हिम्मत कर पाएंगे? लातेहार से चल रही यह लड़ाई देश के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिस पर नजर सभी बनी हुई है।



