गिरिडीह में इन दिनों गर्मी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। तापमान लगातार बढ़ रहा है और पेयजल की भारी किल्लत का सामना आम जनता को करना पड़ रहा है। इसी बीच बरगंडा फूल क्षेत्र में एक पेयजल पाइपलाइन के फट जाने से हजारों लीटर पानी बेकार बह रहा है। जहां एक तरफ लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह की बर्बादी ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार पाइपलाइन की खराबी की सूचना नगर निगम को दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पाइपलाइन फटे हुए कई दिन बीत चुके हैं, मगर अब तक मरम्मत का कोई प्रयास नहीं हुआ है। पानी लगातार सड़क पर बह रहा है, जिससे रास्ता भी फिसलन भरा और दुर्घटनाओं के लिए खतरनाक हो गया है। इससे न केवल पेयजल की बर्बादी हो रही है, बल्कि आम लोगों की परेशानियां भी कई गुना बढ़ गई हैं।
पानी जैसी अमूल्य संसाधन की बर्बादी ऐसे समय में और भी गंभीर हो जाती है जब शहर के कई इलाकों में पानी की सप्लाई पूरी तरह से ठप हो चुकी है। लोग टैंकरों और निजी स्रोतों से पानी खरीदने को मजबूर हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदारी किसकी है? क्या नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस तरह की लापरवाही के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए?
यह घटना न सिर्फ प्रशासन की अनदेखी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि हमारे सिस्टम में जवाबदेही की कितनी कमी है। यह समय है कि नगर निगम को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और इस तरह की लापरवाही पर सख्त कदम उठाने चाहिए। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत फटी हुई पाइपलाइन की मरम्मत कराए और संबंधित लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।



