बोकारो में सरकारी जमीन से जुड़े बड़े घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में तेजी से जांच करते हुए जमीन खरीदने वालों को समन भेजना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में बोकारो के एक वकील की पत्नी को भी समन भेजा गया है, जिन्होंने विवादित जमीन अपने नाम पर खरीदी थी। यह मामला वन भूमि से जुड़ा है, जिस पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीद-बिक्री की गई थी।
ईडी की जांच में सामने आया है कि इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन नाम के दो व्यक्तियों ने सरकारी जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए मालिकाना हक दर्शाया था। इन फर्जी कागजातों के आधार पर उन्होंने जमीन बेचना शुरू कर दिया। इन दोनों ने शैलेश सिंह को पावर ऑफ अटॉर्नी दी, जिससे उन्हें 50 एकड़ जमीन बेचने का अधिकार मिला। लेकिन शैलेश सिंह ने अधिकार से ज्यादा, यानी 74.38 एकड़ जमीन बेच दी, जो कानूनी रूप से घोटाले की बड़ी कड़ी मानी जा रही है।
बिक्री की गई जमीन उमायुष मल्टीकॉम नाम की कंपनी को ट्रांसफर की गई, जिसने बाद में इसे और आगे बेच दिया। ईडी की जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस विवादित जमीन को करीब 40 लोगों ने अलग-अलग समय पर खरीदा। इनमें बोकारो के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता भी शामिल हैं, जिन्होंने यह जमीन अपनी पत्नी के नाम से खरीदी थी। इसी लेन-देन के सिलसिले में ईडी ने अधिवक्ता की पत्नी को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है।
इस पूरे प्रकरण से न सिर्फ सरकारी जमीन की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं, बल्कि यह भी सामने आया है कि किस तरह प्रभावशाली लोग और कंपनियां मिलीभगत कर सरकारी संपत्ति को निजी लाभ के लिए बेच रही हैं। ईडी की कार्रवाई से जमीन घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। आने वाले दिनों में और भी लोगों को समन भेजा जा सकता है।



