पहलगाम की शांत वादियों में अचानक गूंजे गोलियों के धमाके, और उस खामोशी को चीरते हुए एक साजिश सामने आई—एक ऐसी साजिश जिसकी जड़ें हमारे पड़ोसी देश की ज़मीन में गहराई तक समाई हुई हैं। NIA की जांच और FIR की शुरुआती जानकारी ने जैसे पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सामने आया है कि जिस आतंकवादी हमले ने भारत की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए, उसमें पाकिस्तानी हथियारों का इस्तेमाल हुआ। आतंकियों को न सिर्फ आधुनिक हथियार मुहैया कराए गए, बल्कि सीमापार बैठी साज़िश की फैक्ट्री से उन्हें हर कदम पर दिशा-निर्देश भी मिले। बैसारन घाटी अब जांच का नया केंद्र बन चुकी है—और वहां पहुंचने जा रहे हैं खुद NIA चीफ, ताकि उस हर सुराग को तलाशा जा सके जो इस हमले के पीछे की सच्चाई को उजागर कर सके।
पहलगाम हमले की FIR ने यह साफ कर दिया है कि यह हमला कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं था, बल्कि बारीकी से रचा गया एक आतंकी प्लान था, जिसकी पटकथा पाकिस्तान में बैठकर लिखी गई। FIR में दर्ज धारा 103, 109, 61, 7, 27, 16, 18 और 20 (भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत) इस बात का प्रमाण हैं कि हमले की गंभीरता कितनी भयावह थी। पाकिस्तान में मौजूद हैंडलर्स ने न सिर्फ हमला करवाया, बल्कि आतंकियों को भारत में घुसाने के लिए रास्ते भी तय किए और हथियार भी मुहैया कराए। NIA अब उन सभी बिंदुओं को खंगाल रही है, जहां से इस हमले की नींव रखी गई थी। स्थानीय निवासियों के बयान, संदिग्धों से पूछताछ और टेक्निकल सर्विलांस—जांच की हर दिशा खुल चुकी है।
हमले के बाद भी पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा। सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं अब आम हो चली हैं। उरी, अखनूर और अन्य सीमाई क्षेत्रों में पाकिस्तान ने लगातार सातवें दिन गोलीबारी की, जिस पर भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। यह साफ है कि पाकिस्तान सिर्फ कूटनीतिक मंचों पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी भारत को अस्थिर करने की कोशिशों में जुटा है। पहलगाम हमला हो या सीमा पर गोलीबारी—हर घटना बताती है कि दुश्मन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने निर्णायक रवैया अपनाया। सबसे पहले तो देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए। सरकार ने उन्हें देश छोड़ने के लिए एक समयसीमा दी थी, जिसे बाद में बढ़ाया गया, लेकिन सख्ती बरकरार है। भारत अब कोई ढील नहीं देना चाहता। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की कोशिशें भी तेज़ हो गई हैं। यह स्पष्ट संदेश है कि आतंक के साथ कोई समझौता नहीं होगा—न कश्मीर में, न दिल्ली में।



