गिरिडीह चैत्र शुक्ल तृतीया के बाद जब चतुर्थी मंगलवार का दिन आया, तब लोक आस्था का महापर्व – चैती छठ श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत होकर प्रारंभ हो गया। यह पर्व चार दिनों तक चलता है, और हर दिन की एक अलग महिमा होती है।
पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जब श्रद्धालु पवित्र नदी या तालाब में स्नान करके शुद्धता का संकल्प लेते हैं। यह केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता का भी प्रतीक है। इस पर्व में श्रद्धालु आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए कठिन उपवास करते हैं।
छठ व्रति में पूजा के साथ अरवा चावल, सीधा नमक, चने, कद्दू की दाल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। यह पर्व सूर्य देवता की आराधना के साथ-साथ आत्मिक शांति और संतुलन का प्रतीक भी है। चैती छठ न केवल धार्मिक परंपरा का उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और विश्वास का अद्वितीय संगम है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी समाज में अपनी महत्ता बनाए हुए है।



