देशभर के लाखों हवाई यात्रियों के लिए यह एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है—जब यात्री एयरपोर्ट अथॉरिटी को सभी शुल्क चुकाते हैं, सुरक्षा जांच से गुजरते हैं, और नियमों का पालन करते हैं, तो फिर उनके सामान को एयरपोर्ट अथॉरिटी के कर्मचारियों की मौजूदगी में ही क्यों नहीं सौंपा जाता? क्या यह यात्रियों के अधिकारों का हनन नहीं है? इस मुद्दे को लेकर अब आवाजें उठने लगी हैं औरआरटीआई कार्यकर्ता सुनील खंडेलवाल के द्वारा
प्रशासन से स्पष्ट जवाब और त्वरित समाधान की मांग की जा रही है।
इस मामले को अब नागरिक विमानन मंत्रालय के पास आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है, और उम्मीद की जा रही है कि मंत्रालय व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए जल्द ही उचित कदम उठाएगा। सिविल एविएशन मंत्रालय के निदेशक शंखेश मेहता से जुड़ा यह मामला अब सरकार के पाले में है—देखना होगा कि क्या यात्रियों की यह मूलभूत सुविधा उन्हें जल्द मिलेगी या फिर यह मांग भी फाइलों में दबकर रह जाएगी!



