पौष पूर्णिमा के अवसर पर हर साल आयोजित होने वाले गिरिडीह के प्रसिद्ध लंगटा बाबा मेले में सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जमुआ प्रखंड के खरगडीहा स्थित लंगटा बाबा के समाधि स्थल पर सुबह तड़के से ही चादरपोशी की परंपरा शुरू हो गई। इस परंपरा की शुरुआत जमुआ थाना प्रभारी मणिकांत कुमार ने सुबह करीब तीन बजे चादर चढ़ाकर की। इसके बाद, हिंदू और मुस्लिम समुदाय के भक्तों ने बाबा की समाधि पर आस्था और श्रद्धा से चादर चढ़ाई। इस मेले में झारखंड, बिहार, बंगाल और राजस्थान समेत कई राज्यों से आए भक्तों की भारी भीड़ ने समाधिस्थल को भर दिया।
लंगटा बाबा मेला हिंदू-मुस्लिम एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है। परंपरा के अनुसार, सुबह हिंदू समुदाय के भक्तों ने चादरपोशी की, जबकि दोपहर बाद मुस्लिम समुदाय ने अपनी श्रद्धा अर्पित की। मेले में भक्तों की सुविधा के लिए प्रबंधन समिति द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी, लेकिन विशाल भीड़ के कारण व्यवस्थाएं नाकाफी रहीं, जिससे समाधिस्थल तक पहुंचने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा। सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था, और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी समाधिस्थल पर चादरपोशी की। हालांकि, आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि लंगटा बाबा कौन थे और कहां से आए थे। उनकी समाधि पर अटूट आस्था और भाईचारे की मिसाल हर वर्ष इस मेले में देखने को मिलती है।



