गिरिडीह के बाजारों में मकरसंक्रांति से पहले तिलकुट की रौनक छा गई है। टावर चौक, काली बाड़ी चौक, मकतपुर चौक और बड़ा चौक समेत कई इलाकों में तिलकुट की दुकानें सज चुकी हैं। गया के कुशल कारीगरों द्वारा बनाए जा रहे खोवा, चीनी, गुड़, और शुगर-फ्री तिलकुट की महक राहगीरों को अपनी ओर खींच रही है।
बाजारों में बादाम चिक्की और तिल चिक्की जैसी मिठाइयों की भी जमकर बिक्री हो रही है। कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद लोगों की खरीदारी पर कोई असर नहीं दिख रहा है।
तिलकुट विक्रेताओं ने बताया कि जैसे देवघर का पेड़ा और सिलाव की बालूशाही प्रसिद्ध है, वैसे ही गया का तिलकुट पूरे देश में मशहूर है। कारीगर सावधानीपूर्वक तिल की सफाई और कुटाई के बाद चीनी या गुड़ मिलाकर तिलकुट तैयार करते हैं। शुद्धता और पारंपरिक विधि से तैयार यह तिलकुट शहर के हर कोने में मकरसंक्रांति की मिठास घोल रहा है।



