गिरिडीह : सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बरगंडा में सोमवार को गुरु गोविंद सिंह की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर प्रधानाचार्य आनंद कमल, हरिशंकर तिवारी और रामकिशोर प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। प्रधानाचार्य आनंद कमल ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी साहस, ज्ञान और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में उभरे। उनका योगदान 1699 में खालसा पंथ की स्थापना के रूप में अमिट है, जो समानता, न्याय और निष्ठा के लिए समर्पित एक भाईचारा है। यह दिन उनके उपदेशों पर चिंतन करने के साथ-साथ आत्मनिरीक्षण और उनके द्वारा अपनाए गए मूल्यों – निर्भयता, करुणा और अडिग विश्वास के प्रति पुनः समर्पण का दिन है।
हरिशंकर तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि प्रकाश पर्व सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन केवल सिख समुदाय के लिए नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पटना साहिब, बिहार में हुआ था और उन्होंने मात्र दस वर्ष की उम्र में गुरु की गद्दी संभाली। सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में, उन्होंने धर्म की रक्षा और अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष करते हुए 14 युद्ध लड़े। उनके जीवन की प्रेरणा को याद करते हुए, सिख समुदाय इस दिन उनके बलिदान और संघर्ष को सराहता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में अरविंद कुमार त्रिवेदी, राजेंद्र लाल बरनवाल और समस्त आचार्य दीदी का योगदान रहा



